कोरोना से केवल फेफड़े ही नहीं, बल्कि सभी अंगों को खतरा

कोरोना से केवल फेफड़े ही नहीं, बल्कि सभी अंगों को खतरा

सेहतराग टीम

कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार नए संक्रमित मामलों में इजाफा हो रहा है। वैज्ञानिक वायरस के इलाज के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं, हालांकि कुछ वैक्सीन के नाम सामने आए हैं जिनके जल्द आने की उम्मीद है। इस बीच हैरान करने वाली खबर आई है। दरअसल ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) दिल्ली के विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना वायरस न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है बल्कि शरीर के अभी अंगो को प्रभावित कर सकता है। एम्स के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना संक्रमण अब एक बहुअंगीय बीमारी बन गई है।

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विशेषज्ञों ने कहा किअन्य अंगों को शामिल करने के लिए, बस सांस के लक्षणों के आधार पर हल्के, मध्यम और गंभीर श्रेणियों में मामलों के वर्गीकरण पर फिर से विचार करने की जरूरत है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, स्नायु विभाग के प्रमुख डॉ एम वी पद्मा श्रीवास्तव, हृदय चिकित्सा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंबुज राय, मेडिसीन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल समेत संस्थान के विशेषज्ञों ने नीति आयोग के साथ मिलकर आयोजित अपने साप्ताहिक ‘नेशनल क्लीनिकल ग्राउंड राउंड्स’ में कोविड-19 का फेफड़े पर होने वाले संभावित जटिलताओं पर चर्चा की।

एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि जिसे हमने आसान वायरल निमोनिया समझा था, उसका असर फेफड़ों के आगे भी है। जैसे-जैसे हमें ज्यादा जानकारी मिली है, तो इससे हमने अहसास किया है कि यह फेफड़े पर भी अपना प्रभाव दिखाता है। यह मूल तथ्य है कि यह वायरस एसीई 2रिसेप्टर से कोशिका में प्रवेश करता है इसलिए सांस की नली और फेफड़े में वह बड़ी मात्रा में होता है लेकिन वह अन्य अंगों में भी मौजूद होता है और इस तरह अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं।

बताया गया है कि जुलाई-अगस्त में जो 122 कोरोना मरीज एम्स आए, उनमें 53 फीसदी में फेफड़ों के संक्रमण से जुड़े कोई लक्षण नहीं मिले। इनमें 30 फीसदी में पहले से कोई बीमारी नहीं थी। 21 फीसदी लोगों में डायबिटीज और 20 फीसदी में हाईपरटेंशन की समस्या थी। इसके अलावा कुछ में ट्रांसप्लांट्स, कैंसर और एचआईवी जैसी बीमारियां पहले से ही पाई गईं।

 

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